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वही एक ऐगा गामिन है जिसको आत्मा के स्वतन्त्र स्वभाव पर पूर्ण श्रद्धा है । सम्यक्दृष्टि के जीवन मे एक ऐसे झुकाव का उदय होता है जो उसे चारित्र की माधना करने के लिए प्रेरित करता है । प्राचार्य कुन्दकुन्द का कथन है कि जिस व्यक्ति में रागादि मावो का अशमात्र भी विद्यमान है वह अभी तक स्वतन्त्रता के महत्व को नहीं समझा है (99) । जो व्यक्ति शुद्धात्मक तत्त्व से अपरिचित है और व्रतो और नियमो को धारण कर रहा है वह परम शान्ति को प्राप्त नही कर मकता है (95,96) । जो व्यक्ति प्रात्मा के स्वभाव को समझता है वह प्रामक्ति मे रहित होता हुआ प्रात्मा की स्वतन्त्रता का उपभोग करने लग जाता है । मासक्त व्यक्ति ही परतन्त्रता का जीवन जीता है (71)। यह निश्चित है कि वस्तु के महारे मे ही मनुष्यो को आसक्तिपूर्ण विचार होता है, तो भी वास्तव मे वस्तु व्यक्ति को परतन्त्र नही बनाती है । व्यक्ति की परतन्त्रता तो वस्तु के प्रति प्रामक्ति से ही उत्पन्न होती है (70) । प्रत जो व्यक्ति आसक्तिरहित होता है वह कर्मों मे छुटकारा पा जाता है, समतामय जीवन जीता है और शुद्धोपयोगी बन जाता है (71)।
यह कहा जा चुका है कि निश्चयनय चेतना की स्वतन्त्रता से उत्पन्न दृष्टि है और व्यवहार नय चेतना की परतन्त्रता मे उत्पन्न दृष्टि है। ये दोनो ही दृष्टियां बौद्धिक है। किन्तु शुद्धात्मा का अनुभव नयातीत है, वह बुद्धि से परे है (47) । ऐमा अनुभव होने पर केवल ज्ञान का उदय होता है, वह व्यक्ति सभी इन्द्रियो की पराधीनता मे दूर हो जाता है और उसमे एक ऐसे सुख का उदय होता है जो इन्द्रियातीत होता है।
उपर्युक्त विवेचन मे स्पष्ट है कि प्राचार्य कुन्दकुन्द ने द्रव्यो का विवेचन बहुत ही मूक्ष्मता से किया है । इमी विशेषता से प्रभावित होकर आचार्य कुन्दकुन्द के द्रव्य-विचार को पाठको के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हर्प का अनुभव हो रहा है। गाथानो के हिन्दी अनुवाद को मूलानुगामी बनाने का प्रयाम किया गया है। यह दृष्टि रही है कि अनुवाद पढने से ही शब्दो की विभक्तिया एव उनके अर्थ समझ में पा जाए । अनुवाद को प्रवाहमय बनाने की भी इच्छा रही है। कहा तक मफलता मिली है, इमको तो पाठक ही बता सकेंगे । अनुवाद के अतिरिक्त गाथाम्रो का व्याकरणिक विश्लेपण भी प्रस्तुत किया गया है। इस विश्लेषण मे जिन मकेतो का प्रयोग किया गया है उनको सकेत-मूची मे देखकर समझा जा सकता है। यह प्राशा की जाती है कि इसमे प्राकृत को व्यवस्थित रूप मे सीखने मे सहायता मिलेगी तथा व्याकरण के विभिन्न नियम सहज मे ही सीखे जा सकेंगे।
(xun)