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सव सम्मत समाधान भारतरत्न, महर्षि डी०के० को
स्पूतनिक के इस युग में हम विज्ञान द्वारा प्राप्त महान सफलतामों और प्रकृति पर मानव के प्रभुत्व की बात सुनते हैं। किन्तु साथ ही हम नई खोजों की बुराइयों से भयभीत हैं, जो मानव जीवन का ही मस्तित्व समाप्त कर सकती हैं। अराजकता की इस स्थिति में प्राचार्यश्री तुलसी अणुव्रत-पान्दोलन के रूप में दुनिया की सब बुराइयों का एक समाधान प्रस्तुत करते हैं, जो सर्वसम्मत है। वह है-प्रात्म-शुद्धि काबह प्राचीन सन्मार्ग जो मनुष्य के जीवन को सुखद बना सकता है।
चारित्र और चातुर्य श्री नरहरि विष्णु गाडगिल
राज्यपाल, चण्डीगढ़ गीता के अनुसार जब धर्म का क्षय होता है और अधर्म की अवस्था बढ़ती है, तब-तवभगवान् अवतार लेते हैं और अधर्म को समाप्त करके धर्म संस्थापन का कार्य करते हैं। सर्व समर्श ईश्वर निराकार होने की वजह से अवतार कार्य व्यक्ति के द्वारा किया जाता है। आधुनिक भाषा में यदि हम इसी अर्थ को करें, अब कोई बड़े महात्मा या युगपुरुष बार-बार नहीं होते । समाज के मार्ग-दर्शन का कार्य नईनई विचारधारामों द्वारा किया जाता है। मैं तो यह समझता हूँ कि नवीन दृष्टि समाज के परिवर्तन में अवश्य हो जाती है और वह दृष्टि रखने वाले जो सज्जन होने हैं, वे प्रधान विभूति माने जाते हैं। विद्यमान दुनिया में प्रसन्तोष और प्रशान्ति इतनी फैली हुई है कि कल क्या होगा, कोई कह नहीं सकता। न जाने जानकीनाथ प्रभाते कि भविष्यति । अण से ब्रह्माण्ड का नाश करने का पड्यंत्र रचा जा रहा है। वैर में वैर का नाश करने का प्रयत्न किया जा रहा है। परिणाम यह नजर पा रहा है कि वैर बढ़ता जा रहा है और प्रसन्तोष की एक चिनगारी का स्वरूप महान् ज्वालामुखी में परिवर्तित हो रहा है। गान्ति तो नजर ही नहीं पाती और अगर मूर्खता मे या अविवेकी माहस से कोई एक कदम उठाया जाये तो जगन का नाश अनिवार्य है। इसीलिए आज शान्ति का और सच्चरित्र का मन्देश प्रावश्यक है और यही काम प्राचार्यश्री तुलसी वर्षों से कर रहे हैं। मणु का मुकाबला अणुव्रत से किया जा रहा है। एक-एक व्यक्ति अपने जीवन में साधु माचार करे तो समाज का जीवन स्थिर नंनिक दृष्टि से बढ़ता ही जायेगा। पाज आवश्यकता है, चरित्र की, चातुर्य की नहीं । माज अावश्यकता है, सम्यक् प्राचार की, समलंकृत वाणी की नहीं; कार्य की आवश्यकता है, विवरण की नहीं और यही मार्ग-दर्शन माज पाचार्यश्री तृपसी कर रहे हैं। उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पण कर रहा है। वे अपने कार्य में मफल हों और उनके द्वारा देश के चरित्र की संस्थापना हो, यही मेरी प्रार्थना है।