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प्राचार्यश्री तुलसी अभिनन्दन अन्य
[ प्रथम
नहीं कि इस कारण हम प्रणवत-ग्रान्दोलन के मूल्य को न समझे और कहें कि इसमें तो नवीनता नहीं है। जैसा कि पहले कहा गया है-जीवन-दर्शन के क्षेत्र में मौलिक नवीन सिद्धान्तों की खोज ने प्राचीनतम सिद्धान्तों की सत्यता को खंडित नहीं, पुष्ट ही किया है। यहाँ नई खोज, नये प्रयास का लक्ष्य पिछले सिद्धान्त का उखाड़ना नहीं, वर्तमान स्थितियों में उसकी व्यावहारिकता प्रतिपादित करके उसे नया-नया रूप देना होता है। इस दृष्टि से अणुव्रत-पान्दोलन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी कार्य कर रहा है । कालान्तर मे धर्म और व्यवहार में जो खाई पड़ गई है, जो द्वैत उत्पन्न हो गया है, उसे मिटा कर धर्म को व्यावहारिक जीवन में सम्यक् प्रकार से स्थापित करने का यह नवीनतम प्रयास इस दृष्टि से प्रत्यन्त अभिनन्दनीय है।
इस पुनीत अवसर पर प्राचार्यश्री के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के हेतु मे इन कुछ वाक्य-पुष्पों की अंजलि अर्पित है। सच्ची श्रद्धांजलि तो यही होगी कि आचार्यश्री के उपदेशों की ओर हमारा ध्यान जाये, हम उन पर विचार करें, उन्हें समझे उन पर आचरण करें जिममे हममें मानवोचित आध्यात्मिकता फिर मे जागे, हमारी धर्म में प्रास्था दढ़ हो और धर्म-व्यवहार में उतरे ।
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