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________________ २७५ बार सोनेके पहले उष्ण जलसे स्नान करो और कभी कभी सारे शरीरको सूर्य किरणोंका स्नान भी कराया करो। १० भोजन-जल्दी पचनेवाला और शरीरको पुष्ट करनेवाला भोजन दो बार ग्रहण करो। भोजनको अच्छी तरह चबा कर गलेके नीचे उतारो । मांस, काफी, चाह आदिको हाथसे भी मत छुओ । भोजनके साथ पानी या प्रवाही पदार्थ मत पियो । भोजनके बीचमे बहुत धीरे धीरे थोड़ा पानी पीना चाहिए । इससे वृद्धावस्था लानेवाले कारण दूर होते है और युवावस्था तथा सौन्दर्य प्राप्त होता है । मिताहारी बनो । सच्ची भूख लगने पर भोजन करो। यदि मिल सके तो प्रतिदिन एक सेव अवश्य खाओ। इस फलमें जीवनके नवीन तत्त्व उत्पन्न करनेका विशेष गुण है। ११ निद्रा-७-८ घंटेकी निद्रा लो और शरीरको शिथिल करके आराम करो । चुस्त कपड़े कभी मत पहनो । सादे और स्वच्छ कपडे पहनो। १२ फुटकरवाते-अत्यावश्यक और अल्पावश्यक कामोंका बोझा अपने सिर पर मत लो। काम करनेकी पद्धति सीखो । जोखिमोंका खयाल रखके चलो। शरीरमें जो नाश और नवीकरणकी क्रिया चला करती है उसे अच्छी तरह समझनेका प्रयत्न करते रहो। इस सिद्धान्त पर विश्वास रक्खो कि अपने जीवन और शरीरमें परिवर्तन करनेके लिए हम स्वयं शक्तिवान् है। बूढ़े होनेके विचारोंको कभी पास मत आने दो। जवानीके सशक्त विचार स्थिर रक्खो । दीर्घजीवनकी भावनाको दृढ बनाते रहो । सदैव प्रसन्न और आनन्दित रहो। धीरे बोलनेका अभ्यास करो । क्रोध, अभिमान, भय, लोभ, स्वार्थपरता, ठगाई, विश्वासघात, दुर्व्यसन, दुराचार, निन्दा, चुगली आदि दुर्गुणोको छोड़ दो। सहनशीलता, उदारता, परोपकार, दया, प्रेम आदि गुणोंको अपनाओ । दीर्घजीवन, आरोग्य और सौन्दर्यके विषयमें
SR No.010718
Book TitleJain Hiteshi
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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