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दी हुई है। हम नहीं सोच सकते कि एक काम करनेवाले पुरुषने इस पदवीके पानेका प्रयत्न क्या समझकर किया होगा।
३ संस्थाओंके पाप और समाचारपत्र। समाचारपत्रोंसे जितना अधिक लाभ होता है, उतनी ही अधिक उनसे हानि भी होती है यदि उनका सम्पादन निरपेक्ष दृष्टिसे सत्यका उपासक बनकर न किया जाता हो। इस समय समाचारपत्र हमारे नेत्रों और कानोंका अधिकार धीरे धीरे छीनते जा रहे हैनेत्रों और कानोंके होते हुए भी हम समाचारपत्रोंके नेत्रो और कानोंपर विश्वास करनेके लिए बाध्य होते जा रहे है। इस लिए आवश्यक है कि हम इन नये नेत्रो और कानोंको ऐसे वनावे जिससे हमे कभी धोखा न खाना पड़े-और जबतक ऐसा न हो तबतक केवल इन्हींके अवलम्बन पर न रहें। जैनसमाजकी तीन चार संस्थाओंके विषयमें हमे अभी अभी जो समाचार मिले हैं, उनसे हम यह बात कहनेके लिए लाचार हुए हैं कि हमारे समाचारपत्र सर्व साधारणको बड़ा भारी धोखा दे रहे हैं और उक्त संस्थाओके भीतरी मालिन्य तथा पाशविक अत्याचारोंको छुपाकर उन्हें आदर्श सस्था बतला रहे हैं। जिस समय हमने एक संस्थाके कुछ बालकोंकी चिड़ियाँ पढ़ीं, उस समय उनके ऊपर होते हुए घणित अत्याचारोंकी पीडासे हमें रो आया ! हमें पहले विश्वास न था कि जैनसमाजमें ऐसे ऐसे नरपशु भी है जो संस्थाओंके संचालक बनकर छोटे छोटे अनाथ चच्चोंके साथ ऐसी नारकी लीला कर सकते हैं और इस पर भी कोई उनके पंजेसे संस्थाको छुडानेका साहस नहीं कर सकता है । थोड़े ही दिन पीछे जब हमने एक प्रतिष्ठित गिने जानेवाले पत्रमें इसी संस्था