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४ संस्कृतविद्यालय-हमारे यहाँ सस्कृतकी कई पाठशालायें है परन्तु धनाभावसे उनकी अवस्था जैसी चाहिए वैसी सन्तोपजनक नहीं है। इसलिए अबतक एक आदर्श संस्कृतविद्यालयकी आवश्यकता बनी ही है । यह ठीक है कि संस्कृत भाषा अब कोई जीवित भाषा नहीं है । ससारकी सर्वश्रेष्ठ भाषा होनेपर भी उसमें हमारी नवीन जीवन समस्याओंके हल करनेकी शक्ति नहीं है तो भी हमें यह न भूल जाना चाहिए कि वह हमारे पूर्वजोंके यशोराशिकी स्मृति है और हमारी प्राचीन सभ्यताकी उज्ज्वल निदर्शन है। और धर्मतत्त्वोंका मर्म समझना तो उसकी शरण लिये विना अव भी एक तरहसे बहुत कठिन है । अतएव अँगरेजी और हिन्दीके विद्यालयों के समान इस पवित्र देववाणीकी रक्षाके लिए सस्कृतविद्यालयकी भी बडी भारी आवश्यकता है। चार लाखकी रकमसे संस्कृतविद्यालय बहुत अच्छी तरहसे चल सकता है । संस्कृत विद्यार्थियों के विषयमें अकसर यह शिकायत सुनी जाती है कि वे पण्डिताई करनेके सिवा और किसीके कामके नहीं होते है, परन्तु प्रयत्न करनेसे यह शिकायत दूर हो सकती है । संस्कृतके साथ साथ उन्हें अच्छी हिन्दी, काम चलाऊ अँगरेजी और किसी एक उद्योगकी शिक्षा देनेका भी प्रवन्ध करना चाहिए। ऐसा करनेसे वे जीविकाके लिए चिन्तित न रहेगे । शिक्षापद्धतिका ज्ञान भी उन्हें अच्छी तरहसे करा देना चाहिए जिससे यदि वे अध्यापकी करना चाहे तो योग्यतापूर्वक कर सकें। संस्कृतके अध्यापकोंकी आवश्यकता भी हमारे यहाँ कम नहीं है।
• अन्तमें मैं यह निवेदन कर देना भी आवश्यक समझा हूँ कि इस बड़ी रकमसे केवल एक ही अच्छी संस्था स्थापित करना चाहिए--- इसका एकसे अधिक जुदाजुदा कामोंमें वॉटना उन लोगोंके लिए