________________
करत आतमध्यान धुरंधरो। जजत हैं हम पाप सबै हरो॥३॥ ___ॐ ही कार्तिक शुक्लत्रयोदश्यां निःक्रमणकल्याणकप्राप्ताय श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय अभ्य सुकलपूनमचैत सुहावनी। परमकेवल सो दिन पावनी॥ सुरसुरेश नरेश जजै तहाँ । हम जजै पदपंकजको इहाँ ॥ ४॥ ___ॐ ही चैत्रपूर्णिमायां केवलज्ञानप्राप्ताय श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥४॥ असित फागुन चौथ सुजानियो । सकलकर्ममहारिपु हानियो॥ गिरिसमेदथकी शिवकोगये। हम जजै पद ध्यानवि लये ॥५॥ ॐ हीं फाल्गुनकृष्णचतुर्थीदिने मोक्षमङ्गलमण्डिताय श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय अर्घ ॥५॥
जयमाला।
___ छंद घत्तानंद। जय पद्मजिनेशा शिवसदमेशा, पादपदम जजि पद्मशा। जयभवतमभंजन मुनिमनकंजन, रंजनको दिवसाधेशा॥१॥