________________
et startet teretet
पू
tretetreter te tretet tettetetutattetett tetstietettistutettu
सेयो सुरतिय छप्पन वृन्द । नानाविधि मैं जजों जिनन्द ॥१॥ ॐ ह्रीं फाल्गुनशुक्लाष्टन्यां गर्भंगलप्राप्ताय श्रीशंभवजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥१॥ कार्तिक सित पूनम तिथि जान । तीनज्ञानजुत जनम प्रमाण ॥ धरि गिरिराज जजे सुरराज । तिन्हें जजों मैं निजहित काज ॥२॥ ___ ॐ ही कार्तिकशुक्लपूर्णिमायां जन्ममंगलप्राप्ताय श्रीशंभवजिनेन्द्राय अर्धं निर्व०॥२॥ मंगसिरसित पून्यों तप धार । सकल सङ्ग तजि जिन अनगार ॥ ध्यानादिक बल जीते कर्म । च) चरन देहु शिवशर्म ॥३॥ ____ॐ हीं मार्गशीर्षपूर्णिमायां दीक्षाकल्याणकप्राप्ताय श्रीशंभवजिनेन्द्राय अधं ॥३॥ कातिक कलि तिथि चौथ महान । घाति घात लिया केवल ज्ञान ॥ समवशरनमहँ तिष्ठ देव । तुरिय चिहन चर्ची वसुभेव ॥४॥ ____ॐ ही कार्तिककृष्णचतुर्थीदिने शानसाम्राज्यमंगलप्राप्ताय श्रीशंभवजिनेन्द्राय अभ्यं० चैत शुकल तिथि षष्ठी घोख । गिरसमेंदतें लीनों मोख ॥
tetettettstettetrictetetrte - tootectetet