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जयमाला। दोहा-तुम गुनबरनन येम जिम, खंविहाय करमान ।
तथा मेदिनी पदनिकरि, कीनों चहत प्रमान ॥१॥ जय अनन्त रवि भव्यमन, जलजवृद बिहसाय ॥ सुमति कोकतियथोक सुख, वृद्ध कियो जिनराय ॥२॥
छंद नयमालनी। तथा चंडी। तथा तामरस (मात्रा १६)। जै अनन्त गुनवंत नमस्ते। शुद्धध्येय नितसंत नमस्ते ॥ लोकालोकविलोक नमस्ते। चिन्मूरत गुनथोक नमस्ते ॥ ३॥ रत्नत्रयधर धीर नमस्ते। करमशत्रुकरिकीर नमस्ते॥ चारअनंत महंत नमस्ते । जै जै शिवतिकंत नमस्ते ॥४॥ पञ्चाचारविचार नमस्ते। पंचफर्णमदहार नमस्ते ॥ पंच-पराव्रत-चूर नमस्ते । पंचमगतिसुखपूर नमस्ते ॥५॥ पंचलब्धिधरनेश नमस्ते । पंचभावसिद्ध श नमस्ते ॥ छहों दरबगुनजान नमस्ते । छहो काल पहिचान नमस्ते ॥६॥ छहोंकायरच्छेश नमस्ते । छहसम्यक उपदेश नमस्ते ॥ सप्तविशनवनवह्नि नमस्ते। जय केवलअपरहि नमस्ते ॥७॥ सप्ततत्वगुनभनन नमस्ते। सप्तशुभ्रगतहनन