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________________ ॥ प्रस्तावना॥ - | यह सजनचित्तवल्लभ आगे श्रीमान भाई मुन्शी अमनसिंह जी अपीलनवीस ने छपायाथा जिसमें मूल संस्कृत फिर पदच्छेद संस्कृत. अन्वय संस्कृत, टीका संस्कृत और भाषाछंद भाषाटीका ऐसेछःप्रकार का लेखथा परंतु हमारे जैनी भाइयों में कुछ दिनसे संस्कृत विद्या का ऐसा अभाव हुआहै कि हज़ारोंतो क्या लाखों में दोचार कुछ २ पढ़ते हैं इससे ऐसा परमोपकारी ग्रंथ उन भाइयों को जो संस्कृत पढ़ना व्याधि समझते हैं जहर का प्याला जंचनेलगा अनेक भाइयों ने मुझको लिखा कि भाई साहब आप केवल एक सरल भाषाटीका सहित छपवानो तो बड़ा उपकार होगा सो अनेक भाइयों की प्रार्थना छपाया जाता है कि सब को धर्मलाभ होवे ॥ आपलोगोंको हितैषी सेवक मुन्शी नाथूराम लमेचू भाई - - -
SR No.010712
Book TitleSajjan Chittavallabh Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Munshi
PublisherNathuram Munshi
Publication Year1899
Total Pages33
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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