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________________ wom maamaana s ala श्रीसज्जनचित्तवल्लभ सटीक १७ नके साथ अष्टाईग मूलगुण ( अहिंमा ५ मा २ अचार्य ३ ब्रह्मचर्य परिगृहत्याग ५ ये पंचमहावन ईयाममिति १ भाषाममिनि २ ईपणा समिति ३ श्रा. दाननित्तेपणा समिनि ४ प्रतिस्थापना ममिनिये ५. समिनि है। स्पर्शन १मना २ घ्राण ३ चन्न? श्रोत्र ५ इनपांच इंद्रियांका दमन । सामायक १ नी. थकका स्तवन रबंदना३ प्रतिक्रमण हे प्रत्याख्यान | ५. कायोत्सर्ग ६ वे छः आवश्यक और भूमिशयन १ स्नानत्याग २ दंतधोवनत्याग ३ वन्नत्याग र केशलुंच ५ उदंडाहार ६ एकवारलघु भोजन ७) ये धारण किया और कुछ समयला पाला अवशीन वाय आदि के खेदसे घबराकर उस प्रतिज्ञा को छोड़ना चाहता है । सो विचार तो सही कि कोईदीन दरिद्री भी भूखसे पीड़ित हुश्रा अपनी वनको श्राप खानाह। ? भावार्थ नहीं खाता है। तो तू त्यागेडाग परिग्रह को क्यों ग्रहण किया चाहता है ? ॥ १३॥ अन्येपांमरणं भवानगणयन्स्व स्यामरत्वंसदा देहिचिन्तयमींद्रि यद्विपवशीभृत्वापरिभ्राम्यसि । अ aratira-e AMA A M damVAANAatanAmARiadeodasanman - dawunwapm
SR No.010712
Book TitleSajjan Chittavallabh Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Munshi
PublisherNathuram Munshi
Publication Year1899
Total Pages33
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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