________________
प्राकृत भारती इससे पूर्व डॉ सोगाणीजी की प्राचाराग चयनिका, दशवकालिक चयनिका, उत्तराध्ययन चयनिका, अष्टपाहुड चयनिका आदि 8 पुस्तके प्रकाशित कर चुकी है और कई चयनिकायें प्रकाशित करने वाली है।
डॉ कमलचन्दजी सोगारणो प्राकृत भाषा के अनन्य उपासक होने से इनका प्राकृत भारती के साथ प्रारम्भ से ही तादात्म्य सम्बन्ध रहा है। वर्तमान मे मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर के दर्शन विभाग के प्रोफेसर पद से 31 अगस्त, 88 को सेवा-निवृत्त होकर, जयपुर में निवास कर रहे हैं और प्राकृत भारती की गतिविधियो मे सक्रिय सहयोग दे रहे हैं ।
हमे आशा है पाठकगण इस चयनिका के माध्यम से आचार्य कुन्दकुन्द के दृष्टिकोण को सुगमता के साथ हृदयगम कर सकेंगे और प्राकृत भाषा के जानकार एव उसके उन्नयन मे सहभागी बन सकेंगे।
निदेशक म. विनयसागर प्राकृत भारती अकादमी जयपुर
सचिव देवेन्द्रराज मेहता