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प्राभार
समयसार-चयनिका के लिए श्री बलभद्र जैन द्वारा सपादित समयसार के संस्करण का उपयोग किया गया है। इसके लिए श्री वलभद्र जैन के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। समयसार का यह सस्करण श्री कुन्दकुन्द भारती, दिल्ली से सन् 1978 मे प्रकाशित हुआ है।
मेरे विद्यार्थी डॉ. श्यामराव व्यास, सहायक प्रोफेसर, दर्शन-विभाग, सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर का आभारी हूँ, जिन्होने इस पुस्तक के अनुवाद एव इसकी प्रस्तावना को पढकर उपयोगी सुझाव दिए। डॉ हुकमचन्द जैन (जैन विद्या एव प्राकृत विभाग, सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर) डॉ सुभाष कोठारी तथा श्री सुरेश सिसोदिया (आगम, अहिंसा-समता एव प्राकृत सस्थान, उदयपुर) के सहयोग के लिए भी आभारी हूँ।
मेरी धर्म-पत्नो श्रीमती कमला देवी सोगाणी ने इस पुस्तक की गाथाओ का मूल-ग्रन्थ से सहर्ष मिलान किया है तथा प्रूफ-सशोधन का कार्य रुचिपूर्वक किया है, अत मैं अपना आभार प्रकट करता हूँ।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर के सचिव श्री देवेन्द्रराज जी मेहता तथा सयुक्त सचिव एव निदेशक महोपाध्याय श्री विनयसागर जी ने जो व्यवस्था की है, उसके लिए उनका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
कमलचन्द सोगाणी
एच-7, चितरजन मार्ग, 'सी' स्कीम, जयपुर-302001 (राज)
चयनिका
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