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सव्वे (मध्व) 212 सवि भावे (भाव) 2/2 य (अ)पादपूरक गेच्छदे [ (ण)+(इच्छदे)] ण (म)-नही इच्छदे (इच्छ) व 3/1 सक गाणी (गाणि) 11 वि जाणगभावो [ (जाणग)(भाव) 11 ] मियदो (रिणयद) 1/1 विणीरालबो (गीरालय)
1/1 वि दु (प) तथा सव्वत्थ (अ)-हर ममय 112 गाणी (णारिण) 1/1 वि रागप्पजहो [ (राग)-(प्पजह) 1/1
वि] हि (अ)निश्चय ही सम्वदम्वेसु [ (सम्ब)-(दन्व) 712] कम्ममझगदो [ (कम्म)- (मझ)- (गद) भूक 1/1 अनि] गो (प्र)-नही लिप्पदि (लिप्पदि) व कर्म 3/1 सक अनि रजएण (रजम) 3/1 दु (प्र)-प्रत कदममज्झे [ (कम)
(मझे) 7/1 जहा (अ)-जिस प्रकार फणय (कणय) 1/1 113 अण्णाणी (अण्णारिण) 1/1 वि पुण (अ)ीर रत्तो (रत्त) भूक
1/1 अनि हि (अ)=निस्सदेह सव्वदन्वेसु [ (सन्व)-(दव) 712 ] फम्ममज्झगदो [ (कम्म)-(मज्झ)-(गद) भूक 1/1 अनि ] लिप्पवि (लिप्पदि) व कर्म 3/1 सक अनि कम्मरयेण [ (कम्म)-(रय) 3/1 ] दु (प्र)-प्रत कद्दममझे [ (कद्दम) ---(मज्झ) 7/1] जहा (
अ जिस प्रकार लोह (लोह) 1/1 114 भुजतस्स (मुज) वकृ 6/1 वि (प्र)=भी विविहे (विविह)
212 वि सचित्ताचित्तमिस्सिए [ (मचित्त) + (प्रचित्त) + (मिस्सिए)] [ (सचित्त)-(अचित्त)-(मिस्म) भूक 2/2 ] दब्वे (दव्व) 2/2 सखस्स (सख) 6/1 सेदभावो [(सेद) वि(भाव) 1/1] ण वि (अ)-कभी नही सक्कदिः (मक्कदि) व कर्म 3/1 सक भनि फिण्हगो (किण्ह) 1/1 वि स्वार्थिक 'ग'
प्रत्यय कादु (कादु) हे अनि 1 हेत्वयं कृदन्त (कादु) के साथ 'सक्कदि को कर्म वाच्य का अर्थ दिया जाता है।
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