________________
अहिंसा की प्रवल भावना होती है, जिसका जीवन अहिंसामय बन जाता है, उसका प्रभाव दूसरों पर पड़े बिना रह नहीं सकता । अहिंसा के आगे और वैरविरोध की शक्तियां परास्त हो जाती हैं । अहिंसक के आसपास का समग्र वातावरण शान्तिमय, करुणामय, सात्विकता से परिपूर्ण और पवित्र बन जाता है। मुनि अहिंसा के प्रतीक थे और उनके अन्तः करण में प्रेम एवं वात्सल्य का भाव इतना उग्र और गहरा था कि सिंह की सारी हिंसा भावना . उसके सामने गल कर पानी-पानी हो गई !
एक मनुष्य अगर अपने जीवन को सुधार लेता है तो दूसरों पर । उसका प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता । आत्म बल में ऐसी अंपूर्व और अनिर्वचनीय शक्ति है !
careon