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स्वाध्याय
. आज का दिन चातुर्मास्य-पर्व के नाम से जाना जाता है। चार मास पर्यन्त, इस वर्षावास में, ज्ञान-गंगा की जो धारा प्रवाहित हो रही थी, वह अपनी दिशा बदलने वाली है। चार मास से ज्ञान और सत्संग का जो यज्ञ चल
रहा था, आज उसकी पूर्णाहुति है। श्रमणवर्ग अपना स्थिर निवास त्यागकर ... पुनः विहारचर्या अपनाएंगे। ................ __ अन्त के इन तीन दिनों में 'सामायिकसम्मेलन' के प्रायोजन ने इस पर्व
को सोने में सुगंध भर दिया है। आज स्वाध्याय की ज्योति को जगा देने का : .. दिवस है। ....... .................. ........ - यह यात्मशधक पर्व है, जिसमें इस जीवन की शुद्धि सफलता और
श्रेय का विचार करना है और भविष्य का निर्माण करना है। ... भगवान् महावीर का अनेकान्त-मार्ग, जिसने कोटि-कोटि बन्धनबद्ध प्राणियों को मुक्ति और स्वाधीनता का मार्ग प्रदर्शित किया है. ज्ञान और क्रिया,
के समन्वय का समर्थन करके चलता है। उसने हमें बतलाया है. कि एकांगी - कर्म से अथवा एकांगी ज्ञान से निस्तार नहीं होगा। जब तक ज्ञान और क्रिया :
एक दूसरे के पूरक बनकर संयुक्त बल न प्राप्त कर लेंगे, तब तक साधक की ... साधना में पूर्णता नहीं आएगी, वह लँगड़ी रहेगी और उससे सिद्धि प्राप्त नहीं .
की जा सकेगी। क्रियाहीन ज्ञान मस्तिष्क का भार है और ज्ञानहीन क्रिया : अंधी है। दोनों एक दूसरे के सहयोग के बिना निष्फल हैं। उनसे प्रात्मा का --- कल्याण नहीं होता । कहा भी है-..