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ही सिरदर्द नहीं बन जाएगी ? आज नैतिकता की भावना को सजीव और साकार बनाना है और यही सच्ची देश सेवा है। दिखावा करने का समय ... व्यतीत हो गया। बिलास की वेला वीत गई है। देशवासियो! अपने देश के महापुरुषों के जीवन, आदेश और उपदेश को याद करो। जीवन को संयममय
और सादगी पूर्ण बनायो । गृहस्थों के व्रतों एवं नियमों को पालो। खाद्यान की - कमी है तो महीने में दो-चार उपवास करने का नियम ग्रहण करो। धर्मशास्त्र
का विधान है कि प्रत्येक गृहस्थ को अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या -... या अपनी पसंद की हुई किन्हीं भी तिथियों में अनशन करना चाहिए। यह . • धार्मिक नियम आज देश की सब से जटिल समस्या को सरलता से समाधान कर .
सकता है । खाद्यान्न की कमी मांसभक्षण से पूरी करने की प्रेरणा देश को भारी खतरे में डाल देगी । एक बार मनुष्य के हृदय में जब निर्दयता और करता जाग उठती है तो वह दूसरे मनुष्यों के प्रति भी सदय नहीं रह सकता। अगर हम चाहते हैं कि मनुष्य मनुष्य का घातक न बने तो हमारा कर्तव्य है कि हम उसके हृदय में करुणा भाव जागृत करें और करुणा भाव की जागृति के लिए
प्राणिमात्र के प्रति दयावान् बनने के सिवाय अन्य कोई चारा नहीं है। जो - पशुओं की हत्या करने में संकोच नहीं करेगा या मांसभक्षण करेगा, वह मनुष्यों ...
के प्रति भी करुणाशील नहीं रह सकेगा । अतएव खाद्य-समस्या का समाधान ... ...': धर्म के अनुकूल ही होना चाहिएं। परिमित दिनों का अनशन उसका उत्तम. ..
.::.. . .. .. उपाय है। .........:
- यदि नागरिकों के व्यवहार में प्रामाणिकता आ जाय तो सरकारी . .. कर्मचारियों की संख्या में कमी हो जाय और लाखों करोड़ों का खर्च बच जाए. ... और परिणाम स्वरूप कर का भार भी कम हो जाय। शासनतंत्र को भी चाहिए...
कि वह जनता में प्रामाणिकता के प्रोत्साहन के लिए समुचित व्यवस्था करे। विविध प्रकार के व्यवसायी आज जो मिलावट कर रहे हैं उसके विषय में उन्हें .. मार्गसूचन किया जाना चाहिए, जिससे वे वैसा न करे। व्यवसायियों को भी सन्मार्ग ग्रहण करना चाहिए । इस प्रकार प्रजा और शासकवर्ग के सम्मिलित.