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.. आज हमें श्रत का जो भी अंश उपलब्ध है, वह इन्हीं सब महामनीषी प्राचार्यों की ज्ञानाराधना का सुफल है । इन महान् आत्माओं ने उस युग में श्रतः ... का संरक्षण किया जब लेखन की परम्परा हमारे यहाँ प्रचलित नहीं हुई थी। ... अाज तो अनेकों साधन उपलब्ध हैं और श्रत सभी के लिए सुलभ है । ऐसी स्थिति में हमारा कर्तव्य है कि हम श्रुत का श्रद्धा और भक्ति के साथ अध्ययन .... - करें, दूसरों के अध्ययन में सहायक बनें और ऐसा करके अपने जीवन को ऊँचा .. - उठावें । ज्ञातव्य विषयों का ज्ञान प्राप्त कर लेना ही पर्याप्त नहीं है, मगर जो - उपादेय हैं आचरणीय है, उसका आचरण करें और जो त्याज्य है उसका त्याग
करें। ज्ञान हमारा पथ प्रदर्शन कर सकता है। वह भाव-आलोक है, मगर प्रदर्शित - पथ पर चलने से ही मंजिल प्राप्त की जा सकती है।
दीपक के प्रकाश से एक छात्र ज्ञानार्जन कर सकता है और कुसंस्कारों ___वाला दूसरा छात्र उसी प्रकाश से चोरी कर सकता है । दीपक दोनों के लिए ... समान है, दोनों को आलोक देता है भगवान महावीर स्वामी द्वारा उपदिष्ट ..
मार्ग पर हम यथा शक्ति चलें और चलने की अधिक से अधिक शक्ति संचित - करें, यही इस जीवन का सर्वश्रेष्ठ साध्य है । प्रात्मा को शाश्वत कल्याण का - . द्वार खोलने की अमोघ कुचिका भगवान् की देशना है । कितने सौभाग्य और
पुण्य के प्रभाव से हमें इसके श्रवण-मनन-आचरण करने की अनुकूल सामग्री - अाज मिली है भव्य पुरुषों ! प्रमाद मत करो। निस्सार वस्तुओं के लिए और
अमंगलकारी प्रवृत्तियों में ही समय न बिता दो। जीवन की घड़ियाँ परिमित ... हैं और भविष्य अन्नत है। इस स्वल्पं समय में अनन्त भविष्य को सुखमय बनाने :
में ढील न करो। जो वीतराग की वाणी को समझने का प्रयत्न करेगा और उसे ... जीवन में व्यवहृत करेगा, उसका अक्षय कल्याण होगा। . . : ................