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• भाषा में इंटरव्यू कहते हैं। इंटरव्यू में दस-पन्द्रह मिनट में ही पास फेल होने का
खेल समाप्त हो जाता है। उस समय क्या पूछा जाएगा पता नहीं रहता। मगर प्रत्याशी अगर अभ्यासशील हो और उस समय अपना मानसिक सन्तुलन कायम रक्खे तो सफलता प्राप्त करता है। इसी प्रकार मरण के समय यदि मानसिक सन्तुलन रहा तो मुमुक्षु को सफलता प्राप्त होती है। यदि उस समय मोह ममता जाग उठी तो अनुत्तीर्ण हो जायेगा। ...
- भगवान महावीर ने व्रताराधना के बाद आनन्द को मरणसुधार का उपाय बतलाया । मरणसुधार करने वालों को विकारों पर विजय प्राप्त करना आवश्यक है। उग्र से उग्र भय कष्ट आदि आने पर भी सावधान साधक ज्ञान बल द्वारा विकारों को उत्पन्न नहीं होने देता।
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विकारोकेश है. ऊँचे से ऊँचा अन्य ज्ञान प्राप्त करने वाले ने भी यदि अध्यात्मज्ञान प्राप्त नहीं किया तो सब व्यर्थ है ? विद्वान् पुरुष से यदि बोलते समय खलना हो जाय तो उसका उपहास नहीं करना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक छमस्थ स्खलना का पात्र है......... ........................ ....
.. स्थूलभद्र ने प्राचार्यः भद्रबाहु से दस पूर्वो का ज्ञान प्राप्त कर लिया.. किन्तु अपने प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए साध्वियों के समक्ष सिंह को रूप धारण किया। इस घटना को जानकर आचार्य भद्रबाहु को खेद हुआ और उन्होंने आगे का अभ्यास बन्द कर दिया। अहंभाव आने पर आगे की साधना के समक्ष दीवाल खड़ी हो जाती है। .
प्राचार्य भविष्य का विचार करके चौकन्ने हो गए। उन्होंने सोचाइस गहरे पात्र में जब छलकन आगई तो इससे अधिक का समावेश कैसे हो... सकेगा? अब अभ्यास को रोक देना ही उचित है। प्राचार्य ने यह निर्णय कर लिया। ज्ञानी पुरुष अपनी भूल को जल्दी समझ लेता है, स्वीकार कर लेता हैं और उसका प्रतीकार करने में भी विलम्ब नहीं करता।
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