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और समृद्ध साहित्य को भी हम आज उचित तरीके से लोगों के हाथों में न पहुँचा सकें तो हमारी ज्ञानाराधना ही क्या हुई।
ज्ञानपंचमी के इस पर्व पर आपको निश्चय करना चाहिए कि हम : अपनी पूर्व संचित विपुल ज्ञाननिधि को जगत् में फैलाएंगे, स्वयं ज्ञान के अपूर्व आलोक में विचरण करेंगे और दूसरों को आलोक में लाने का प्रयत्न करेंगे। आप ऐसा करेंगे तो पूर्वज महापुरुषों के ऋण से मुक्त होंगे और स्वपर के परम कल्याण के भागी बनेंगे।