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१८] विलास की सामग्री हटा कर उसने विराग की सामग्री सजाई। जहां विलास की वैतरणी बहती थी, वहां विराग की महा मंदाकिनी प्रवाहित होने लगी। शृंगार का स्थान वैराग्य ने ग्रहण किया।
वर्षाकाल व्यतीत होने पर महामुनि स्थूलभद्र पाप-पंक में लिप्त आत्मा का उद्धार कर के अपने गुरु के निकट चले गए।
___ मुनि ने अपने सद्गुणों के सौरभ से वेश्या के जीवन को सुरभित कर दिया । वेश्या के मन का कण-कण मुनि के प्रति कृतज्ञता से परिपूर्ण हो गया। वह उनके लोकोत्तर उपकार के भार से दब-सी गई । अब उसके चित्त की चंचलता दूर हो गई । मन पूरी तरह शान्त हो गया।
__ अनुकूल निमित्त मिलने पर जीवन आध्यात्मिकता में बड़ी तेजी के साथ बदल जाता है .
__ बन्धुनो ! जिस प्रकार भूख खाने से ही मिटती है, भोजन देखने या भोज्य पदार्थों का नाम सुनने से नहीं, इसी प्रकार धर्म को जीवन में उतारने से जीवन के समग्र व्यवहारों को धनमय बनाने से ही वास्तविक शान्ति प्राप्त हो सकती है। जिनका जीवन धर्ममय बन जाता है, वे परम शान्ति और समाधि के अपूर्व आनन्द को प्राप्त करके कृतार्थ हो जाते हैं।
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