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। २६७ - आज लक्ष्मी की पूजा करने वाले तो बहुत हैं किन्तु व्रत साधना के लिए । आगे आने वाले कितने हैं ? राग और भक्ति तथा अर्थ और भक्ति में क्या ... सामंजस्य है, यथावसर इस पर प्रकाश डाला जाएगा।
- राजा उदायन ने भी पहले श्रावक के व्रतों को अङ्गीकार किया फिर श्रमण-दीक्षा अङ्गीकार की। गृहस्थ जीवन में रहते हुए बिम्बसार, अजातशत्रु उदायन, चण्डप्रद्योत और चेटक आदि भगवान् के वचनों पर श्रद्धाशील बने । उन्होंने राज्य सम्बन्धी उत्तरदायित्व एवं बन्धन से अपने आपको मुक्त या .. हल्का कर लिया। - बहत्तर वर्ष की पूर्ण आयु में भगवान् ने अपना वर्षाकाल पावापुरी में व्यतीत किया। यह उनका अन्तिम वर्षाकाल'था। भगवान् के सिवाय कोई .. नहीं जानता था कि यह वर्ष आपके जीवन का अन्तिम वर्ष है ! दीर्घकाल से . . चलने वाली भगवान् की साधना पूर्ण हो चुकी। महाराजा हस्तीपाल की रथशाला में उनका अन्तिम चातुर्मास हुआ । अन्य राजाओं ने भी चातुर्मास्य- . काल में भगवान् की उपस्थिति से लाभ उठाया। महाराजा हस्तीपाल के प्रबल सौभाग्य का योग समझिए कि उन्हें अन्तिम समय में चरम तीर्थङ्कर की सेवा, भक्ति, एवं उपासना का दुर्लभ लाभ प्राप्त हुआ । कवियों ने भी इस प्रसंग को लेकर अपनी वाणी को पवित्र बनाने का प्रयत्न किया है-..
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पर्व यह मंगलमय आया रे, पर्व यह मंगलमय आया।
अन्तिम वर्षाकाल प्रभू ने पावापुर ठाया।..... .. हस्तीपाल की राजुकशाला प्रभु ने पवित्र बनाया ।..".
वीर हुए निर्वाण गौतम ने केवलि पद पाया ।.... ___ कात्तिकी अमावस्या को लोक के एक असाधारण, अद्वितीय, महान साधक की साधना चरम सीमा पर पहुँची। उनकी आत्मा अनन्त ज्ञान-दर्शन से