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[१८७...मच्छर या मक्खी पर छिड़क दिया जाय तो वे तड़फड़ा कर मर जाते हैं । यदि तमाखू न खाने वाला अकस्मात् तमाखू खा ले तो उसे चक्कर आने लगते हैं, : उसका दिमाग घूमने लगता है और जब तक वमन न हो जाय तब तक उसे . चैन नहीं पड़ती। क्या आपने कभी विचार किया है कि ऐसा क्यों होता है ?
वास्तव में मनुष्य का शरीर तमाखू को सहन नहीं करता। शरीर की प्रकृति से वह प्रतिकूल है। शारीरिक प्रकृति के विरुद्ध मनुष्य जब तमाखू का सेवन करता है तो शरीर की ओर से यह चेष्टा होती है कि वह उसे बाहर निकाल फेंके । इसी कारण वमन होता है। बीड़ी, सिगरेट या हुक्का आदि के द्वारा ज़ब तमाखू का सेवन किया जाता है तब शरीर पर दोहरा अत्याचार.. . होता है। तमाखू और धुंआ दोनों शरीर के लिए हानिकारक हैं। जब कोई .... मनुष्य देखादेखी पहलेपहल बीड़ी सिगरेट पीता है तब भी उसका मस्तक चकराता है और सिर में जोरदार पीड़ा होती है। किन्तु मनुष्य इतना विवेक हीन बन जाता है कि प्रकृति की ओर से मिलने वाली चेतावनी की ओर तनिक भी ध्यान नहीं देता और कष्ट सहन करके भी अपने शरीर में विष घुसेड़ता जाता है। धीरे-धीरे शरीर की वह प्रतिरोधक शक्ति क्षीण हो जाती है और मनुष्य उसे समझ नहीं पाता।
- कई लोग तमाखू सूघते हैं। ऐसा करने से उनके आसपास बैठने .... वालों को कितनी परेशानी होती है। इस प्रकार तमाखू का चूसना, पीना
और सूचना सभी शरीर के लिए भयानक हानिकारक हैं । आखिर जो जहर है वह लाभदायक कैसे हो सकता है ?
.. शरीर विज्ञान के वेत्ताओं का कथन है कि जो बीमारियां अत्यन्त खतरनाक समझी जाती हैं, उनके अन्य कारणों में तमाखू का सेवन भी एक मुख्य कारण है। क्षय और कैंसर जैसी प्राण लेवा बीमारियां तमाखू के सेवन से उत्पन्न
होती हैं। कैंसर कितनी भयंकर बीमारी है, यह कौन नहीं जानता ? चिकित्सा . . विज्ञान और शरीर विज्ञान के विकास के इस युग में भी कैंसर अब तक . .
असाध्य बीमारी समझी जाती है । हजारों में से कोई भाग्यवान् बचे तो भले ही