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आध्यात्मिक आलोक
संतों की जीवनचर्या इसीलिए पढ़ी और सुनी जाती है कि इससे मन की सोयी हुई ज्ञान शक्ति जागृत हो जाय । जिस प्रकार सूर्य किरण को यदि सूर्यमणि में केन्द्रित किया जाय तो रूई को जला सकती है, वैसे ही ज्ञान रूपी सूर्य किरण को हृदय रूपी कांच में साधकर पाप पुंज रूपी रूई की देरी को जला सकते हैं । हर मानव यदि पाप से भय करने लगे तो वह लोक और परलोक दोनों में अपना हित साध सकता है।