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आध्यात्मिक आलोक यह याद रखना चाहिए कि आग पानी से शान्त होती है, किन्तु आग से आग नहीं बुझती । गधा लात मारता है पर ज्ञानी उससे बचकर निकल जाता है । वह लात . का जवाब लात से नहीं देता। इसी प्रकार ज्ञानी वैर-विरोध से बचकर चलता है। वह अज्ञानी के साथ अज्ञानी बनकर प्रसन्न नहीं होता । गधे की दुलती का मुकाबला करने वाला मनुष्य भी गधा कहलाता है। जैसे समझदार आदमी गधे से दूर रहता है, वैसे ही ज्ञानवान् काम, क्रोध लोभ, मोह आदि अन्तरंग गधों से दूर रहता है और विवेकपूर्वक स्वपर का कल्याण करता है । ज्ञानी को सदा ध्यान रखना चाहिए कि
जा पै जैसी वस्तु है, वैसी दे दिखलाय । वांका बुरा न मानिये, · वो लेन कहां पे जाय ।। इस प्रकार जो विषय कषाय से बचेंगे, उनका कल्याण होगा ।
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