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आध्यात्मिक आलोक
_139 के प्रयोग में प्रमाद करने से साधक गिर जाता है । क्षमा, सहिष्णुता, सत्य, शील, संतोष और विनय आदि सद्गुणों की आराधना करना, पर्व का प्रमुख कर्तव्य है ।
ज्ञान गंगा में डुबकी लगाने, धर्म की मल हरणी में हाथ धोने, ज्ञान की ज्योति में जीवन का धागा पिरोने, संतों की वाणी श्रवण करने, सत्संग और सदाचार के द्वारा गुणों के आदान-प्रदान करने, मन में सुभावना उत्पन्न करने, अहंकार को मन से हटाने और क्रोध, माया, मोह, लोभादि को घटाकर अन्तरंग साधना करने का यह सुअवसर है । इस अवसर पर आत्म-साधना, समाज-साधना एवं संघ साधना अनायास ही हो जाती है ।