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37. अप्पागमेव [(पप्पागं) + (एव)] प्रप्पाणं। (अप्पाण) 211 एव
(4)=ही सुगमाहि (जुन्झ) विपि 2/1 पक कि (कि) सवि ते (तुम्ह) 4/1 स जुग्झेग (जुन) 3|| बम्ममो (प)रहिरंग से प्रप्पा (पप्पाए) 211 जइसा (अम) संह मुहमेहए [[मुह)
+(एहए)] सुहं (सुह) I|| एहए (एह) व 3/1 पक 38. सुवना-अप्पस [(सुवण)-(रुप) 6/1] उ (4)=किन्तु पम्पया
(पम्वय) 1/2 भये (भव) विधि 312 मक सिया ():-कामित् हु (प)=भी केलाससमा [ (केनास)-(सम) 1/2 वि] प्रसंक्षया (पसंखय) 112 वि नरस्स (नर) 4/1 तुस्स (लुर) 4/1 वि न (प) =नहीं तेहि (त) 312 सवि किचि (प)-कुछ इच्या (इया) 1/1ह (प)-क्योकि मागाससमा [(मागास)
स्त्री सम-समा) 111 रि] प्रतिया [ (प्रण) + (प्रतिया)]
अणंतिया (प्रतिय--प्रणतिया) 1/1 वि 39. दुमपत्तए [(दुम)-(पत्तम) 1/1] पंडयए (पंडुय-प्र) स्वार्षिक
'म' 1/1 वि बहा (म) जैसे निवरद (निवड) व 3/1 प्रक राइगरपाण [(गइ)-(गण) 6/2] अम्बए (प्रच्चन) 711 एवं (म)==इसी प्रकार मण याण (मणुय) 612 जीवियं (नोविय) 1/1 समयंक (समय) 2|| गोयम (गोयम) 8/1 मा (म)=मत
पमायए (पमाय) विधि 21 प्रक. 1. कभी कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है
(हेम-प्राकृत-पाकरण: 3-137)। 2. समयवाचक शन्दों में द्वितीया होती है इसका पनुवाद क्षण भर' भी ठीक है
पर हमने इसका अनुवाद 'अवसर' किया है, क्योंकि गौतम महावीर के सामने है पौर इससे पन्या 'भवसर मोर क्या हो सकता?
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- उत्तराध्ययन