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16 सुदं च लद्ध सद्धं च वीरियं पुरण दुल्लहं बहवे रोयमारणा वि नो य णं परिवज्जई ॥
17 माणुसत्तम्मि प्रायाम्रो जो धम्मं सोच्च सद्दहे तमस्सी वोरियं लद्ध, संबुद्धं निद्धणे रयं
॥
18 सोही उज्जुयभूयस्स धम्मो सुद्धस्स चिट्ठई निव्वारणं परमं जाइ घयसितं व पावए
19 स्वयं जीविय मा पमायए जरोवरणीयस्स हु नत्थि ताणं 1 एवं वियारणाहि जगे पमत्ते हिन्दु विहिंसा प्रजया गहिति ॥
20 के पावकम्मेहि धरणं मगुस्सा समाययंती श्रमई गहाय 1 महाय ते पास पर्यट्टिए नरे राणुबद्धा नरगं उवेति
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उत्तराध्ययन