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(प्पदोसि) 1/1 वि] ' (म) =ोर परिग्गही (परिह) 11 वि य (4)=ोर सो (त) 1/1 सवि तेसु (त) 7:2 म मोहा (मोह) 5/1 उवेति (उये) व 3/1 सक
98. विराजमारपस्स (विरज्ज) व 4/1 प (म)= पोर इंदियरमा
[(इन्दिय) + (प्रत्या)] [(इन्दिय)-(प्रत्य) 1/21 सद्दाइया [(सद्द) + (माइया)] [(सद्द)-(पाइय) 112 स्वार्षिक 'य'] सावइयप्पपारा [(तावइय) वि-(प्पयार) 1/2] न (म)=नही सस्स (त) 4/1 स सम्वे (सम्व) 1/2 वि वि (म)=ही मण न्नयं (मण न्नया) 2/1 पा ()-या निव्वतयंती (निम्वतयंती) व 3/2 सक पनि प्रमण लयं (प्रमण नया) 211 वा (प्र)या.
99. सिवान (सिट) 412 नमो (4)=नमस्कार किया (किच्चा)
संक पनि संबयाग (संजय) 4/2 वि ब (म)==ोर भावमो (भाव) पंचमी मयंक 'सो' प्रत्यय प्रस्पषम्मगई [(पत्य)-(धम्म) -(गइ) 2/1] तच्चं (तच्च-स्त्री + तच्चा) 2|| वि मग सहि (पण सट्ठि) 2/1 सुमेह (सुण) विधि 212 सक मे(भम्ह) 3/1स
100. पपरयणो(पभूयरयण)1/1रािया (गय)1/1 सेरिगप्रो(सेणिम)
1/1 मगहाहियो [(मगह) + (पहिवो)] [(मगह)-(महिव)
1. वाक्यांश को बोड़ने के लिए 'मोर' सूपक मध्यमों का प्रयोग दो बार कर दिया
बाता है। 2. धन्द की माता की पूर्ति हेतु "fe' को 'यो' किया गया है। 3. 'नमो के योग में चतुपी होती है।
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उत्तराध्ययन