________________
पद्मिनी चौपाई का कथासार
भगवान ऋषभदेव, महावीर, शारदा और ज्ञानराज गुरू को नमस्कार कर कवि लव्धोदय सती पद्मिनी का चरित्र निर्माण करते है । इसमे वीर शृंगार प्रधान नवरसों का सरस वर्णन है। वीर गोरा, बादल की स्वामीभक्ति और शौर्य, सती के शीलव्रत के साथ क्षीर घृत और खाड के संयोग की भाति सुस्वादु हो जाता है। पहली ढाल मे कवि ने चितौड़ का वर्णन किया है। वे कहते हैं-मेवाड का चितौड दुर्ग सब गढ़ो में प्रधान है यह गगनस्पर्शी कैलाश से टक्कर लेता है। यहा बहुत से तापस तीर्थ, चित्रा नदी, गोमुख कुण्डादि है, कूप, सरोवर, जिनालय, शिवालय, ऊचे ऊंचे महल है, यह बाग बगीचों
और करोडपतियों की लीलाभूमि है। चितौड में महाराणा रतनसेन नामक प्रतापी राजा राज्य करता था. जिसकी सेवा मे दो लाख सुभट एव कई राजा थे। पटरानी प्रभावती अत्यन्त सुन्दर और सब रानियों मे सिरमौर थी, वह राजा की प्रियपात्र और प्रतापी कुमार वीरभाण की माता थी। रानी प्रतिदिन राजा को अपने हाथ से परोस कर प्रेमपूर्वक भोजन कराती थी। एकदिन रत्नजटित थाल मे नाना व्यंजन युक्त स्वादिष्ट भोजन भारोगते हुए हास्य-विनोद में राणा ने कहा