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[गोरा बादल चौपई आयो हुकम ज साह को, वादल भयो तयार, सुनो, रावतो, कान धर, असी करियो मार ॥६३||
कवित्त प्रथम निकस चकडोल, तुरत चढि तुरी धसावो, नेजा लेकर हाथ जोर, दुसमन सिर लावो । जव नेला तुहवै, तबहि तरवार उठावो, जब तूटे तरवार, तवे तुम गुरज उड़ावो। जब गुरज तूट धरणी पड़े, कट्टारी सनमुख लड़ो, बादक कह हो रावता, स्याँम काम इतनो करो ॥४||
दूहा बादल जूझन जव चल्यो, माता आई ताम, रे वाटल तें क्या किया, ए बालक परवाँन ।।१।।
कवित्त रे बादल वालक्क, तुंही है जीवन मेरा, रे बादल वालक्क, तुझ बिन जुग अंधेरा। रे बादल बालक, तुझ बिन सब जग सूना, रे बादल बालक, तुझ बिन सबहि अलूना । तुझ बिन न सूझ कछू, तूटि वाँह छाती पड़े, छुहत तीर वंका तहाँ, केम साह-सनमुख लहै ।।६।।
दूहा माता बालक क्यु कहो, रोड न माँग्यौ ग्रास । जो खग मारूसाह-सिर, तो कहियो सावास ।।६७||