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[गोरा बादल चौपई तजिये, पीव, पिरान, और कू नारि न दीजै, काल न छूटै कोय, सीस दै जग जस लीजै। कलंक लगावै आपको, मो सत खोवै जाँन, कह रानी पदमावती, रतनसेन राजॉन ।।८।। पान लियो पदमावती, गई वादल के पास, राखणहार न सूझही, इक बादल तोहि आस ॥ ८३ ॥ बार वरस को बादलो, हाथ ग्रहे चौगान, ले आई पदमावती, बादल खावौ पान ॥ ८४ ॥ कह बादल सुन पदमनी, जा गोरा के पास, पान लियो मैं सीस धर, न करि चिंत, विसवास ॥ ८५ ॥
कवित्त
भई आस, तब लियो सास, गोरा पे आई, पड्यौ स्याँम सकडे, करो कछु अब्ब सहाई। मंत्र कियौ मंत्रिया, नारि पदमावति दीजै, छूटाइयै नरेस, विलम खिन एक न कीजै। अवस तिहारे आप हूँ, ज्यू भाव त्यु राय करि, बीड़ी उठाइ गोरो कहै, जाइ, बहन, अब बैठ घरि ॥ ८६ ॥
दूहा गोरा बादल बैठ के, दिल में कर विवेक, साह साथ कैसे लड़ा, लसकर अमित अनेक ॥ ८७॥