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________________ १३५६ माघ सुदि ५ बुधवार का एक शिलालेख प्राप्त है ।। अलाउद्दीन ने सवत् १३५६ माघ सुदि के दिन चित्तौड़ पर प्रयाण किया और वि० स० १३६० भाद्रपद सुदि १४ के दिन किला फतह हुआ। इन प्रमाणों से निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वि० स० १३५६-६० मे रनसिंह ही मेवाड़का राजा था और उसी ने अलाउद्दीन से युद्ध किया। यदि पद्मिनी अलाउद्दीन के आक्रमण के समय चित्तौड़ की रानी थी तो उसका पति वि० स० १३५६ के शिलालेख का यही 'महाराजकुल रत्नसिह रहा होगा। इतिहास के विद्यार्थियो को यह कह कर भ्रान्त करने की आवश्यकता नहीं है कि मेवाड़ के इतिहास से हमे चार रत्नसिंह बात है। अतः हम यह निश्चित ही नहीं कर सकते कि इनमें कौन पद्मिनी का पति रहा होगा। दूसरी युक्ति केवल मौन के आधार पर है। वास्तव में राजपूत इतिहास का मुसल्मान इतिहासकारो को ज्ञान ही कितना है कि हम कह सकें कि प्रामाणिक इतिहास इतना ही है। इससे अतिरिक्त कुछ है ही नहीं। स्वयं अलाउद्दीन के विषय में अनेक बातें हैं जिनका वर्णन हिन्दू लेखकों ने किया है, किन्तु बरनी इसामी आदि जिनके बारे मे सर्वथा मौन है। खीची १० इमारे 'प्राचीन चौहान राजवंश' में हम्मीर और कान्हड़देव के - वर्णन पढ़ें।
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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