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________________ [ पद्मिनी चरित्र चौपई ईम भाखी चाल्या रे, परधाने पाल्या रे, वाहे करि झाल्या आल्या धन वह रे॥६॥ हम सिर तुम खोले रे, वीरमाण इम बोले रे ___हम गढ तुम ओलैं राय राणी सहू रे ।। १० ।। आलोची रातें रे, कहस्या परभात रे, जाते रहवातै सुख हम तुम सही रे ॥ ११ ॥ पाउधारेंउ डेरै रे, आलिम पंति हेरै रे; विसटालु चर' पाछा फिर इम कही रे ।। १२॥ आलोचई के. रे, न हुंता जे डेरै२ रे, आधा ले ते. हेडै स्यु होसी रे ।। १३ ।। पथविचलित वीरमाण आलिम अडीलो रे, किण ही परि ढीलो रे, होवे न रढीलो तुरक गयो गुसे रे॥१४॥ जो दीज्य राणी रे तो न रहै पाणी रे, विण दीधे गढ जाणी हाणि होवै पर्छ रे ॥१॥ जोरें जो लेसी रे, बहु वंद करेसी रे, तो काइ नव रहसी रजवट जे अछे रे ॥१६॥ आ पदमणी दीज्य रे, घर सुत संधीजे रे, विण दीधा बंधीजे, छीने जन घणो रे ।। १७ ।। कोई वोल्यो वाणी रे, ए मुंकी अडाणी रे, राणी धर लीजे राणो आपणो रे ।। १८॥ १नर २ नेडै ३ वलि
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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