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________________ जुलती है। किन्तु उसने पद्मावती को राजा रतनसेन की पुत्री वना दी है। श्री अगरचन्दजी नाहटा के संग्रह मे गोरा बादल कवित्त नाम की एक लघुकाय रचना है। भाषा और शैली की दृष्टि से यह रचना पद्मावत से कुछ विशेप अर्वाचीन प्रतीत नहीं होती । गोरा बादल विपयक अन्य रचनाओ मे इसके अवतरण भी इमकी प्राचीनता के घोतक है । इसमें भी रतनसेन गहलोत चित्तौड़ का राजा है। रानी नागमती के ताने से रुष्ट होकर वह सिंहल पहुंचा और पद्मिनी से विवाह कर चित्तौड वापस आया। खेल में अप्रसन्न होकर उसने राघव चैतन्य नाम के ब्राह्मण को देश से निकाल दिया। राघव चैतन्य ने दिल्ली पहुँच कर सब लोगों को अपनी अद्भुत तांत्रिक शक्ति से विस्मित कर दिया। उससे अलाउद्दीन ने पद्मिनी स्त्रियों के गुण सुने । सिंहल मे पद्मिनीयाँ प्राप्त थी। किन्तु सिंहल और भारत के बीच मे समुद्र होने के कारण वह सिंहल न पहुँच सका। जब उसने सुना कि रतनसेन के घर मे भी पद्मिनी रानी थी तो वह चित्तौड़ पहुंचा। राजाने उसका आतिथ्य किया । बातें करते करते राजा ने दुर्गका अन्तिम फाटक पार किया तो सुल्तान ने राजा को पकड़ लिया। जव मत्रियों ने रानी को दे कर राजा को छडाने का निश्चय किया तो रानी १-विशेष विवरण के लिए उपर्युक्त इतिहास देखें, पृ० १८८-१८९
SR No.010707
Book TitlePadmini Charitra Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1953
Total Pages297
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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