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________________ [ १६ ] साक्षात्कार किया और उन सबको अपने महलों में लाकर ठहराया। वनमाला को लक्ष्मण की प्राप्ति होने से सर्वत्र आनन्द छा गया। अतिवीर्य का आक्रमण आयोजन और पराजय उसो अवसर पर नन्दावर्त नगर से अतिवीर्य राजा का भेजा हुआ दूत महीधर के पास आया और सूचना दी कि हमारे भरत के साथ विरोध हुआ है अतः युद्ध के लिये सैन्य सहित शीघ्र आओ! लक्ष्मण द्वारा पूछने पर दूत ने कहा राम लक्ष्मण की अनुपस्थिति का अवसर देख कर हमारे स्वामी ने भरत से अधीनता स्वीकार करने के लिये कहलाया। भरत ने कुपित होकर दूत को अपमानित करके निकाल दिया। अतिवीर्य इसीलिये सैन्य एकत्र कर भरत से युद्ध करेगा और महीधर महाराज को बुला रहा है। महीधर नेहम आ रहे हैं, कह कर दूत को विदा किया। राम ने महीधर से कहा भरत हमारा भाई है, अतः हमें सहाय्य करने का यह समय है, आप अपने पुत्र को हमारे साथ दें ताकि अतिवीर्य को हाथ दिखाया जाय। महीधर ने अपने पुत्र को राम लक्ष्मण के साथ भेज दिया और नंद्यावर्त नगर के बाहर पहुँच कर सन्ध्या समय डेरा डाला। प्रातःकाल जिनालय मे वन्दन पूजनोपरान्त अधिष्ठाता देव द्वारा कार्य सिद्धि की सूचना के साथ-साथ सक्रिय सहयोग का वचन मिला। देवी ने सुभटो का नर्तकी रूप बना दिया। राम ने राजाना से नर्तकी द्वारा नृत्य प्रारम्भ करवाया। नर्तकी ने अपने रूप कला से सवको मुग्ध कर दिया। अवसर देख कर नर्तकी ने राजा से कहा
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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