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[ २८ ] सूरज प्रकाश (कविर्या करणीदान रचित) इस काव्य में राठोड़ो के के पूर्वज के रूप मे राम का चरित दिया है।
१६वीं शताब्दी रघुनाथरूपक-सेवग कवि मंछ ने सवत् १८६३ में इसे रचा है। राजस्थानी गीतों का यह प्रसिद्ध छन्द शास्त्र है। उदाहरण मे कवि ने रामचरित्र को लिया है। इसीलिए इसका नाम रघुनाथ रूपक रखा है। नागरी प्रचारिणी सभा से यह छप भी चुका है।
६ रघुवर जस प्रकाश-यह भी राजस्थानी छन्द शास्त्र है। रचयिता किसनजी आढ़ा है। संवत् १७८१ में इसकी रचना हुई । कविता प्रौढ़ और भाषा शैली सरस है। राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर से यह प्रकाशित हो चुका है।
२०वीं शताब्दी (७) गीत रामायण-जोधपुर के स्व० कविवर अमृतलाल माथुर ने सम्वत् १९५५ मे वहीं के प्रचलित मारवाड़ी लोकगीतों की चाल मे वनाई। इसमें प्रसिद्ध रामायण की भांति सात काण्ड हैं और क्रमशः ५१, ३८, १३, ४, १६, ३ और ११ कुल १३६ गीत हैं । बाल-काण्ड, अवधकाण्ड, अरण्य-काण्ड, किष्किंधा-काण्ड, सुन्दर काण्ड, लंकाकांड और उत्तरकाड मे राम के राज्य तक की कथा आई है। सीता बनवास का प्रसंग नहीं दिया गया। लोक गीतों की चाल में इसके गीत होने से स्त्रियों में इसका प्रचार वहुत अधिक हुआ। रचना बहुत सुन्दर है। पॉकेट साईज के २१२ पृष्ठों में छप चुकी है।