________________
( २३६ ) आगि पाणी धीज जागता रे लाल । हो प्रि० । संदेह मनना भागता रे लाल ||२०|| हो प्रि० । ते धीज तईन कराविया रे लाल । हो० मुझ तजतां प्रेम नाविया रे लाल ॥ २६ ॥ हो० तई तो कठोर हियो कीयो रे लाल । हो० तई मुझनइ विछोहउ दीयो रे लाल ॥ २२ ॥ हो० जो वन माहे सीह मारता रे लाल । हो० तउ तेहनइ कुण वारता रे लाल ॥ २३ ॥ हो० ध्यान भंडइ हुं मुंई थकी रे लाल। हो० दुरगति जाती हुँ ठावकी रे लाल ।। २४ ।। हो। तई कीधो तेन को करइ रे लाल । हो० पणि खटी विण किम मरइ रे लाल ।। २५ ।। हो० दोस किसो देउं तुज्झनई रे लाल । हो० दैव रूठो एक मुज्झनई रे लाल ॥ २६ ॥ हो० आपदा पड्यां न को आपणो रे लाल । हो० कुण गिणइ सगपण घणो रे लाल || २७ ॥ हो. दुखु समुद्रमई तइ धरी रे लाल । हो० पणि पूरव पुण्य करी रे लाल ॥ २८ ॥ हो. पुंडरीकपुरनो धणी रे लाल । हो० मिलियो परिवाधव तणी रे लाल || २६॥ हो० तिण राखी रूडी परइ रे लाल हो० वलि सुग्रीव आणी घरइ रे लाल ॥ ३० ।। हो०