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( २०० ) स० तिरस्यो न छोडइ नीर ।। स०॥ पंडित सुभाषित रसियो किम तजइ रे लो ॥२॥ स०॥ दरिद्री लाधो निधान ॥ स० ॥ किम छोडइ जाणइ इम वलि नहि संपजइ रे लो॥३॥ स०॥ स० तिण तुं निश्चय जाणि ।। स०॥ भोगवि नई मुंकी परही सीता रावणइ रे लो । स० ॥ रामइ कीधउ अन्याय ॥ स ।। सीता नइ आपणइ घर माहि आणिनइ रे लो॥ ४॥ स०॥ स० लोकां मई अपवाद ॥ स०॥ सगलइ ही सीता श्रीरामनो विस्तस्यो रे लो।। स० ।। स० अंतेउर परिवार ॥ स०॥ वीहते लोके इम कह्यो तेने मनइ धस्यो रे लो ॥ ५॥ स०॥ स० एक दिवस एक ठामि ।। स०॥ नगरी मई महिला ना टोल मिल्या घणा रे लो ।। स०॥ तिहां एक वोली नारि ।। स०॥ अस्त्री मई सबला पुण्य आज सीता तणा रे लो ।। ६ ।। स०॥ स० देवी नइ दुरलंभ ॥ स० ।। ते रावण राजा सुं सीता सुख लह्यो रे लो ।। स०।। स० सीता सतीय कहाय ।। स० ॥ ए न घटइ एवडी बात इम वीजी क्यो रे लो।॥ ७॥ स०॥ एक कहइ वलि एम ॥ स०॥ अस्त्री नो सील तालगि कहियइ सावतो रे लो॥ स०॥