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( १४२ ) तेहवइ भामंडल भुवाल, आवियो माकझमाल भाल । श्रीराम आदर मांन दिद्ध, बानरे बहु प्रतिपत्ति किद्ध ।। ४८॥ तिहां हंसदीव' किताक दीह, रह्या राम लखमण अबीह ।। ए खंड छट्ठा तणी ढाल, त्रीजी पूरी थई तिण विचाल ।। ४६ ।। मुझ जनम श्री साचोर मांहि, तिहां-च्यार मास रह्या उछांहि । तिहा ढाल ए कीधी इकेज, कहइ समयसुंदर धरिय हेज ।। ५० ॥
सर्वगाथा ॥२१॥
दूहा ३१ लंका साम्हा सहु चल्या, पहुता संग्राम ठाम । वीस जोयण माहे रह्यो, कटक तणो आयाम ॥ १॥ कुंभकरण सामंत सहु, निज-निज कटक ले साथि । रावण नई पासइं गया, सहु हथियारे हाथि ॥२॥ राक्षसपति पूज्या सहू, वस्त्राभरण विशेषि । आदर मान घणो दीयो, चथा युगति ते देखि ।। ३ ।। एकवीस सहस नई आठसई, सत्तरि गजरथ सार। एक लाख नव सहस वलि, सढ त्रिणसय पालिहार ॥४॥ पांसठि सहस छसइ वली, दस अधिका केकाण । संख्या एक अक्षोहिणी, तेहनो ए परिमाण ॥५॥
१-हंसदीव याठ दीह