SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 270
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११४ ) अपाडियो केलास, जिण भुजासु सुखास । जिण भाजिया अरि भूप, तेहनो एह सरूप ।। ६७ ॥ वलि करई रावण खिप्र, तिहां नगर चिहुँ दिसि वप्र । भुरजे चडावी नालि, दारू भरी सुविसाल ।। ६७ ।। मुखि दीया गोला लोह, कांगरे कांगरे जोह । माड्या सतनी जंत्र, वलि कोया मंत्रनई तंत्र॥ ६६ ।। रावणइ सीता तेथि, राखी रूडी परि एथि आजी पणि न मुंकइ आस, सीता रहइ आवास ।। ७० ॥ ए कही छट्ठी ढाल, रावण विरह विकराल । कहइ समयसुंदर एम, पाइयो प्रमदा प्रेम ।। ७१ ॥ सर्वगाथा ॥२८॥ दूहा ६ तिण अवसरि आयो तिहा, राजा श्री सुग्रीव । किकिंधानगरी थकी, पिण दिलगीर अतीव ॥१॥ खरदूपण मास्यो जिए, ते मोटा सूरवीर । राम अनई लखमण कुमर, ए करिम्यई मुझ भीर ।। २ ।। इम चिंतवि पातालपुरि, गयो सुग्रीव नरेश। साथई सेना अति घणी, पणि मनमई अंदेस ।।३।। राम चरण प्रणमी करी, आगइ वडठो आवि। कुसल खेम छ। पूछीयो, राम तिण प्रस्तावि ॥ ४ ॥ जंबूनंद नाम निपुण, मंत्री कहइ करि जोडि । देव तुम्हारउ दरसणई, मीधा वंछित कोडि ॥५॥
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy