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संचाल्या २ अटवी मई जिहां पाणी नहीं। जि० लाल |जिला सीता नई २ त्रिस लागी ते न सकइ सही । ते० लाल । ते० ॥६।। कहइ सीता २ सुणि प्रीतम हूँ तिरसी मरू । हुं० लाल । हुँ । जीभड़ली सुकाणी हिवहुँ किम करूं । हि० लाल हि० ॥७॥ आणीनई २ पाणी पाइ उतावलउ ।। पा० लाल । पाना छूटइछइ २ माहरा प्राण सूकाणउ गलउ ।। सू० लाल | सू०८॥ आघेरी २ सीता चलि करि माटी पणउ || क० लाल |क०॥ उ दीसई २ गामडल तिहां पाणी घणउ ति० लाoll ति० ॥६॥ तिहां पाणी २ हुँ पाइसि सीतल तुझ नई। सी० ला० सी। राम कहइ २ धरि धीरज झालि तुं मुज्म नइ मा० ला० झा० ॥१०॥ इम कहि नई २ सीतानई राम लेई गयउ ॥ रा० ला०रा०॥ गामडलु २ नामइते अरूण पड्यउ ढह्यउ ||अ० ला० अ० ॥११॥ वाभणीयर २ नामइ ते कपिल तिहां वसइ । क० ला ||कoll सीतानई २ नल पायुतसु घरणी रसई । त० ला० त० ॥१२॥ ए छठ्ठी २ ढाल छोटी खण्ड त्रीजा तणी ॥ खं० लाल खं०। सीतानई २ पाणीनी समयसुंदर भणी ।। स० ला० । स०॥१३।।
सर्वगाथा १५१]
दहा २ राम सीता लखमण सहू, तिहाँ लीघउ आसास ॥ सीतल पाणी बांभणी, पायउ परम उलास ||१|| तिहा सहूको सुखीया थया, थाकेलउ ऊतारि॥ विप्र घरे वासउ रह्या, मीठा वोली नारि ॥२॥
[सर्व गाथा १५३]