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( ४५ )
ढाल पहली
राग रामगिरी [ चाल-जिनवर स्युं मेरउ चित्त लीणउ । अम्हनइ अम्हारइ प्रियु गमइ । काजी महमदना गीतनी-डाल ] कहा पंथी वात वेकर जोडी, दसपुर नगर ए खास रे। रयणायर छोडो जलदूपणि, लखमी कीधर निवास रे ॥१॥ रूडारामजी। देस सूनउ इण मेलिरे, कहता लागस्य वेलि रे। कहता थास्यइं अवेलि रे |रूलाआoll रिद्धि समृद्ध सरगपुर सरिखउ, विवुध वसई जिहाँ लोक रे। सुख संतान सुगुरुनी सेवा, मनवंछित सहु थोक रे शारूoll सरणागत वज्र पंजर सरिखउ, बज्जजघ राय तत्र रे। न्यायनिपुण विनयादिक गुणमणि, सोभित सुजस पवित्र रे ।।२।। पणितेमई सवलउ एक दूषण, नहिं दया धरम लिगार रे। रात दिवस आहेड हीडई, करई बहु जीव संहार रे॥४||रूoll एक दिवस मारी एक मृगली, गरभवती हुती तेह रे। गरभ पड्यउ तडफडतउ देखी, राजा धूजी देह रे ॥शारूका मनमाहे राजा इम चीतवई, मइकीधउ महापाप रे। निरपराध मारी मृगली प्रभ,' देवनई कवण जबाव रे ॥६॥रू बांभण १ साध २ नइस्त्री ३ वाल ४ हत्या, ए मोटा पाप जोइ रे। ताडन तरजन भेदन छेदन, नरगतणा दुख होइ रे ॥जारू०॥
१-ए।