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________________ [ ५१ ] बल से उसे नया रथ दे दिया उसने जव भामण्डल, हनुमान और सुग्रीच को रथ रहित कर दिया तो विभीषण आगे आया। रावण के मसुर ने जब उसे भी तीरो से विद्ध कर दिया तो रामने विभीषण की सहायता के लिए वाण वर्षा करके रावण के ससुर को भगा दिया। रावण क्रुद्ध होकर आगे आया तो लक्ष्मण ने उसे जा ललकारा। रावण के की हुई वाण-वर्षा को लक्ष्मण ने कंकपत्र द्वारा निष्फल कर दिया। रावण जब नि शस्त्र हो गया तो उसने बहुरूपिणी विद्या को स्मरण किया। रावण के मेह शस्त्र को लक्ष्मण ने पवन से, अन्धकार को सूर्य तेज से, सांप को गरुड़ से हटा दिया तव बहुरूपिणी विद्यावल से रावण ने उसे छलना प्रारम्भ कर दिया। कहीं, रावण मृतक पड़ा दीखता तो कभी हजारों भुजाओं से युद्ध करता हुआ, इस प्रकार, नाना प्रकार के अगणित रूप करनेवाले रावण द्वारा प्रक्षिप्त शस्त्रों को भी जब लक्ष्मण ने निष्फल कर दिया तो उसने अपने अन्तिम उपाय चक्ररत्न को स्मरण किया। चक्ररत्न सहस्त्र आरोवाला मणिरत्नमय ज्योतिपूर्ण और अमोघ था। रावण ने लक्ष्मण के सामने चक्र फेंका, लक्ष्मण के पास सभी सुभट उपस्थित थे, उनके द्वारा दूसरे सभी हथियारो को छिन्नभिन्न कर देने पर भी चक्ररत्न अवाध गति से लक्ष्मण के पास आकर उसके हाथों पर स्थित हो गया। सारी सेना में लक्ष्मण के वासुदेव प्रकट होने से आनन्द की लहर छा गई। अनन्तवीर्य मुनि के वचन सत्य हुए। अहंकारी रावण का पतन रावण जो प्रतिवासुदेव था, लक्ष्मण के वासुदेव रूप मे प्रकट होने से अपनी करणी पर मन-ही-मन पश्चाताप प्रकट करने लगा। विभीषण
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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