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रावण तप भंग प्रयत्न विभीषण ने वानर सेना को लंका में जाकर उपद्रव करने का आदेश दिया। उद्व ग पाकर लंका के नागरिक कोलाहल करने लगे। देवों ने राम को इसके लिये उपालंभ दिया कि आप जैसे न्यायप्रिय व्यक्ति को ऐसा करना उचित नहीं । लक्ष्मण ने कहा-बहुरूपिणी विद्या सिद्ध न हो, इसी उद्देश्य से यह उपद्रव किया जा रहा है। हे देव ! आप अन्यायी का पक्ष न लेकर मध्यस्थ वृत्ति रखें। देव-प्रजा को कष्ट न देने का निर्देश करके चले गए।
राम ने अंगद आदि वीरों को रावण को क्षुब्ध करने के उद्देश्य से लका में भेजा। अंगद ने शान्तिनाथ जिनालय में जाकर रावण को फटकारते हुए कहा कि-सीता का अपहरण करके यहाँ दम्भ कर रहे हो! मैं तुम्हारे देखते तुम्हारे अन्तःपुर की दुर्दशा करके ले जाऊँगा ! अंगद ने मन्दोदरी के वस्त्राभरण छीन लिए और चोटी पकड़ कर खींचना प्रारम्भ किया। मन्दोदरी नाना विलाप करती हुई रावण से पुकार-पुकार कर छुड़ाने की प्रार्थना करने लगी। पर रावण अपने ध्यान में निश्चल बैठा था। उसके साहस और ध्यान से बहुरूपिणी विद्या सिद्ध होकर उसकी आज्ञाकारिणी हो गई।
रावण का सीता पर असफल सिद्ध-शक्ति प्रयोग रावण विद्यासिद्ध होकर परीक्षा करने के लिये पद्मोद्यान में गया और नाना रूप धारण करने लगा। सीता रावण का कटक देखकर यही चिन्ता करने लगी कि इस दुष्ट राक्षस से कैसे छुटकारा होगा? रावण ने सीता से कहा-मैं तुम्हें प्रेम में अभिभूत होकर यहां लाया था पर व्रत