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( ३१ ) (२) सतरेभेदी पूजा-स० १६१८ श्रावणसुदि ५ पाटण । (३) सघपट्टकवृत्ति-स० १६१६ । (४) कायस्थिति बालावबोध स० १६२३ महिम।
(५) आपाढ़भूति प्रबंध-सवत् १३२४ विजयादशमी, दिल्ली, श्रीमाल वश पापड गोत्र साह तेजपाल कारित ।
(६) मौन एकादशी स्तवन-सवन् १६३५ जेठसुदी ३, अलवर। ... (७) नमि-राजर्पि चौपाई-सवत् १६३६ माघ सुदी ५, नागौर।
(८) शीतल जिन स्तवन-संवत् ११३८, अमरसर । (ह.) भक्तामर स्तोत्रावरि । (१०) दोपावहार वालाववोध । (११) विशेप नाममाला । (१२) सव्वत्थ वेलि। (१३) षट् कर्मग्रन्थ टब्बा । (१४) गुणस्थान विचार चौपई। (१५) स्थूलिभद्र रास । (१६) अल्पाबहुत्त्व स्तवन आदि ।
साधुकीर्तिजीके गुरुभ्राता वाचक कनकसोम भी अच्छे विद्वान थे, जिनकी सवत १६५५ तक की २१ रचनाए प्राप्त हुई हैं । राजस्थानी भाषा के आप सुकवि थे।