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अनंतर उनका नाम धर्मवर्द्धन रखा गया था । कवि के. जन्मस्थान, तिथि, वश, माता-पिता, आदि के संबंध में विशेष जानकारी तो प्राप्त नहीं होती पर हमारे संग्रह के एक पत्र मे प० धर्मसी के परिवार की विगत लिखा है उसमें उनका गोत्र ओसवाल- वशीय - आचलिया लिखा है । यद्यपि पं० धर्मसी नामक और भी कई यति-मुनि हो गये है, इसलिए उस पत्र में उल्लिखित धर्मसी आप ही है या अन्य कोई, यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता । आपकी भाषा राजस्थानी प्रधान है और दीक्षा भी मारवाड़ राज्यार्न्तगत साचोर में हुई थी, इसलिए आपका जन्मस्थान राजस्थान और विशेषतः मारवाड़ का ही कोई ग्राम होना चाहिये ।। धर्मसी या धर्मसिंह नामकरण उनके उच्चकुल का द्योतक है । उस समय ओसवाल जाति आदि मे ऐसे और भी कई व्यक्तियों के नाम पाये जाते है । आपके जन्म की निश्चित तिथि तो ज्ञात नहीं हो सकी पर आपकी सर्व प्रथम रचना 'श्रेणिक चौपाई' संवत १७१६ चदरीपुर मे रची गई थी और उसकी प्रशस्ति में आपने अपने को १६ वर्ष का बतलाया है । इससे आपका जन्म सवत् १७०० मे हुआ प्रतीत होता है ।।
यथा
लघुवय मे उगणीसवे वर्षे, कीधी जोड़ कहावे आयो सरस वचन को इण मे, सो सतगुरु सुपसाय रे ||७||
+ सतरसें उगशी से वरसे 'चदेरीपुर चावै ।'