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शास्त्रीय विचार स्तवन सग्रह दीय कोरडा देह दोला दबोटा,
वदे बोल वाका झंझे मंत झोटा । पड्या व दिखानै महा दुक्ख मोटा,
प्रभू नाम थी वेग थायै विछोटा ।। २७ ॥
इति बदि भय नमता जिणेशं सदा मन्न राग,
सहीअ महा दुढ में अट्ठ भागै । रली लोक लक्ख लुली पाय लागै,
दिसो दिस्स माहे जसू जस्स जागै ॥ २८ ॥
॥ कलश ॥
परतख जिणवर पास आस उल्लासह अप्पण विविध जास गुण वास दासचा दालिद कप्पण चैण जसु चरण ईति अति भीति निवारण लील लाछि लख गान विमलकीरत्ति वधारण विण इट जेम दीपत दुति, विमलचद मुवख छवि वरण दौलत्ति विजयहरपा दीयण, धरमसीह ध्याने धरण || ।। इति अष्ट भय निवारण श्री गोडी पार्श्वनाथ छद ॥