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है । उनके काव्य के सम्बंध में उन्हीं के शब्दों में इस प्रकार
यथार्थ ही कहा जा सकता
है
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एक एक तै विसेप पंडित वसें असेप,
रात दिन ज्ञान की ही बात कु धरतु है । वेंद्रक गणक ग्रन्थ जानें ग्रह गणन पंथ,
और ठौर के प्रवीण पाइनि परतु है ।
करत कवित सार काव्य की कला अपार,
है ।
श्लोक सच लोकनि के मन कुं हरतु कहे भ्रमसीह भैया पंडिताई कहु कैसी, दोहरा हमारे देस छोहरा करतु है
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हिंदी विभाग, आर. एन रुइया कालेज, रामगढ़, शेखावाटी दि० २६-१०-६१
मनोहर शर्मा