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धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली मेरु विचै करि पूरब पच्छिम दोइ विभाग,
___ सोलह सोलह विजय तिहा विचर वीतग राग, सासतै चौथे आरै तारै श्री अरिहत,
एहवं महाविदेह करमभूमि त्रीजी तंत ।।६।। पूरब विदेह विजय पुखलावती आठमी ठाम,
पुडरीकणी नगरी तिहा श्री सीमधर स्वाम, वन विजय पञ्चीसमी विजयापुर नौ नाम,
पच्छिम विदेह बीजौ युगमंधर कीजै प्रणाम ॥७॥ तिम हिज नवमी वच्छ विजय वलि पूरव विदेह,
नयर सुसीमा त्रीजो बाहु नमुं धरि नेह, नलिनावर्त्त चउवीसमी पछिम विदेह वखाण,
वीतशोका नयरी तिहा चौथौ सुवाहु सुजाण ॥८॥ ए च्यारेई जिणवर जंबूद्वीप मझार,
__ महाविदेह सुदर्शन मेरु - तणे परकार, एहवौ जबूद्वीप महागढ जेम गिरिद,
खाई रूपै दोइ लख जोयण लवण समद ॥६॥
ढाल २ दीवाली दिन अावीयर, राहनी
दीपइ वीजउ दीप ए, धन धन धातकी खड। पिहुलौ चिहु लख जोयणे, मडल रूपै मंड ||१०||दी०॥ पूरब पच्छिम धातकी, खड गिणीजै दोइ । विजय मेरु पूरव दिस, पच्छिम अचलमेरु जोइ ॥१शादी।